
“नौ महीने हो गए… किस्त एक भी नहीं”..अधिकारियों को घेरता संघ
धमतरी-नगरी /एक दिवसीय धरना कार्यक्रम की अध्यक्षता सरपंच संघ नगरी के अध्यक्ष उमेश देव ने की। महासचिव नरेश मांझी, कोषाध्यक्ष उत्तम सिंह नेताम, संरक्षक अकबर मंडावी सहित पदाधिकारियों ने सरकार और प्रशासन पर सीधे निशाने साधे।वक्ताओं का तर्क था कि.. कार्यकाल शुरू होने के नौ महीने बीत चुके हैं ग्राम पंचायतों को 15वें वित्त की एक भी किस्त नहीं मिली
विकास कार्य पूरी तरह ठप पड़ गए,ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए प्रश्न कर रहे हैं,और सरपंच बिना संसाधन आर्थिक व मानसिक दबाव झेल रहे हैं संघ ने कहा कि पहले भी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया और हाल ही में उपसभापति एवं पंचायत-ग्रामीण विकास मंत्री शिवरतन शर्मा के नाम नगरी SDM को मांग पत्र दिया गया, फिर भी “स्थिति जस की तस” बनी हुई है।
“विकास की बातें बहुत… पर पैसा नहीं”—जनप्रतिनिधियों का तंज
धरना स्थल पर जनपद सदस्य प्रमोद कुंजाम, सिरशन बंजारे, मुनेश ध्रुव, नंदीश साहू, तथा युवा कांग्रेस प्रदेश महामंत्री सचिन नाग ने भी सरकार पर तीखे प्रहार किए। इस दौरान वक्ताओं ने कहा यदि सरकार “गांव-गरीब-किसान” के विकास को लेकर सच में गंभीर है,तो तुरंत राशि जारी करे पंचायतों में लंबित मनरेगा कार्यों की स्वीकृति दी जाए,भुगतान में हो रही देरी दूर की जाए
कई वक्ताओं ने इसे “ट्रिपल इंजन सरकार की विफलता” बताते हुए कहा कि ऊपर से नीचे तक एक ही सरकार होने के बाद भी पंचायतों तक पैसा न पहुंचना प्रशासनिक लापरवाही का बड़ा उदाहरण है। धरना के दौरान सरपंच अपने हाथों में तख्तियां लहराते रहे.. “15वें वित्त की राशि जारी करो”, “गांवों का काम बंद क्यों?”, “सरपंचों को अधिकार दो”, इन नारों से पूरा बजरंग चौक गूंजता रहा। तीन सूत्रीय मांगों के साथ शासन को अंतिम चेतावनी दी।
कार्यक्रम के अंत में सरपंच संघ के प्रतिनिधिमंडल ने SDM को ज्ञापन सौंपा। इसमें तीन अहम मांगें रखी गईं
1. 15 वें वित्त की किश्त तुरंत जारी की जाए 2. सभी ग्राम पंचायतों में रुके हुए मनरेगा कार्यों को स्वीकृति दी जाए 3. सरपंचों का मानदेय बढ़ाने की व्यवस्था की जाए। ज्ञापन सौंपने वालों में उमेश देव, नरेश मांझी, उत्तम सिंह नेताम, अकबर मंडावी, डोमर सिंह नेताम, राधेश्याम नेताम, संतोष मांडवी, रोहित सोम सहित अनेक सरपंच एवं पंचायत प्रतिनिधि शामिल रहे।
सरपंच संघ ने स्पष्ट कहा कि यदि मांगें जल्द स्वीकार नहीं की गईं तो यह आंदोलन जिला और प्रदेश स्तर पर बड़े रूप में दिखाई देगा। नगरी का यह धरना अब सरकार के लिए चेतावनी बनकर उभरा है,या तो पंचायतों को उनका अधिकार दो, या फिर सरपंच संघ अपनी ताकत दिखाने तैयार है।







